Abstract
व्यावहारिक एवं राष्ट्रीय कौशलों के विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका
Author : रिमझिम यादव एवं डॉ शाहीन फ़ातिमा खान
Abstract
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली में एक युगांतकारी बदलाव का प्रतीक है। इस नीति का मूल उद्देश्य शिक्षा को केवल परीक्षा और अंकों तक सीमित न रखकर उसे जीवनोन्मुख, कौशलपरक और व्यावहारिक बनाना है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में यह आवश्यक हो गया है कि विद्यार्थी केवल सैद्धांतिक ज्ञान से ही नहीं बल्कि व्यावहारिक एवं राष्ट्रीय मूल्यों से भी परिपूर्ण हों, जिससे वे रोजगार, उद्यमिता और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सक्षम बन सकें। व्यावहारिक कौशलों के संदर्भ में नीति ने विद्यालयी स्तर से ही व्यावसायिक शिक्षा, इंटर्नशिप, प्रशिक्षण और कौशल आधारित पाठ्यक्रम को अनिवार्य करने पर बल दिया है। इससे विद्यार्थी न केवल रोजगारोन्मुख बनेंगे बल्कि जीवन कौशल जैसे समस्या समाधान (Problem Solving), आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking), रचनात्मकता (Creativity) और डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) भी विकसित कर पाएंगे। उच्च शिक्षा में बहुविषयक दृष्टिकोण और लचीली संरचना विद्यार्थियों को अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार कौशल अर्जित करने की स्वतंत्रता देती है। राष्ट्रीय कौशलों के विकास हेतु नीति भारतीय भाषाओं, संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन पर बल देती है। नैतिक शिक्षा, संवैधानिक कर्तव्यों, सामाजिक उत्तरदायित्व, पर्यावरणीय चेतना और राष्ट्रीय एकता को पाठ्यचर्या का हिस्सा बनाया गया है। इस प्रकार विद्यार्थी न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनेंगे बल्कि राष्ट्रीय पहचान और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी साकार करेंगे। हालाँकि, इन उद्देश्यों की प्राप्ति के मार्ग में ग्रामीण-शहरी असमानता, संसाधनों की कमी, शिक्षक प्रशिक्षण का अभाव और डिजिटल विभाजन जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। यदि इन बाधाओं को दूर कर नीति का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए तो भारत विश्व में एक कौशल-संपन्न एवं मूल्य-आधारित शिक्षा प्रणाली स्थापित कर सकता है। अतः कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व्यावहारिक एवं राष्ट्रीय कौशलों के विकास के माध्यम से न केवल भारत की शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाती है, बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास और आत्मzनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम है।
