Abstract

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भारत में विविधता में एकता

Author : रेखा श्रीवास्तव

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यह लेख "भारत में विविधता में एकता" विषय पर आधारित है, जो भारतीय समाज की सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषायी तथा भौगोलिक विविधताओं के मध्य मौजूद गहन एकता को स्पष्ट करता है। भारत जैसे बहुलतावादी राष्ट्र में अनेकता को विभाजन का नहीं, बल्कि एकता का आधार माना जाता है। यह लेख विभिन्न क्षेत्रों—जैसे धर्म, भाषा, रीति-रिवाज, त्योहार, वेशभूषा और खानपान—के माध्यम से यह बताने का प्रयास करता है कि कैसे विविध परंपराओं, संस्कृतियों और जीवन शैलियों के बावजूद भारतीय नागरिक एक राष्ट्र की भावना से बंधे हुए हैं। स्वतंत्रता संग्राम, लोकतांत्रिक व्यवस्था, संवैधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय प्रतीकों की भूमिका को भी इस एकता के आधार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह संकेत करता है कि भारत की विविधता न केवल उसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती है, बल्कि यह देश की सामाजिक स्थिरता और राष्ट्रीय अखंडता को भी सुदृढ़ करती है। वर्तमान समय में जब सामाजिक समरसता को चुनौतियाँ मिल रही हैं, तब यह विषय और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। निष्कर्षतः, भारत की "विविधता में एकता" की भावना न केवल उसकी पहचान है, बल्कि यह उसकी शक्ति और स्थायित्व का मूल स्रोत भी है।